पटना, जेएनएन। Ashok Singh Murder Case: विधायक अशोक सिंह हत्याकांड में सजायाफ्ता बिहार के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह की सजा बरकरार रहेगी। रांची हाईकोर्अ ने उनकी याचिका पर उन्हें कोई राहत नहीं दी है। विदित हो कि झारखंड के हजारीबाग की अदालत ने बिहार के मशरख विधानसभा क्षेत्र के तत्कालीन विधायक अशोक सिंह की हत्या के मामले में प्रभुनाथ सिंह और उनके दो भाइयों को उम्रकैद की सजादी है। इसके खिलाफ उन्होंने रांची हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी।
पटना के सरकारी आवास में बम मारकर कर की गई थी हत्या
विधायक अशोक सिंह की हत्या उनके पटना स्थित सरकारी आवास में बम मारकर कर दी गई थी। घटना के समय वे अपने आवास पर लोगों से मिल रहे थे। घटना को लेकर मृत विधायक की पत्नी चांदनी देवी ने पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह तथा उनके भाइयों दीनानाथ सिंह और रितेश सिंह के खिलाफ नामजद एफआइआर दर्ज कराई थी।
प्रमुनाथ सिंह व दो भाइयों को मिली उम्रकैद की सजा
इस हत्या के पीछे राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता की बात कही गई। अशोक सिंह ने प्रभुनाथ सिंह को चुनाव में पराजित किया था। प्रभुनाथ सिंह के रसूख को देखते हुए अशोक सिंह की पत्नी चांदनी देवी ने सुप्रीम कोर्ट से मुकदमा अन्यत्र ट्रांसफर करने की अपील की, जिसे कोर्ट ने मान लिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुकदमे को राज्य के बाहर झारखंड के हजारीबाग कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया। हजारीबाग कोर्ट ने इस मामले में प्रभानाथ सिंह व उनके दोनों भाइयों को दोषी पाते हुए मार्च 2017 में उम्रकैद की सजा दी।
अब रांची हाईकोर्अ ने प्रभुनाथ को दिया झटका
उम्रकैद की सजा के खिलाफ प्रभनाथ सिंह व उनके भाई रांची हाईकोर्ट गए। हाईकोर्ट में जस्टिस एके गुप्ता व जस्टिस राजेश कुमार की अदालत ने इस मामले में फैसला सुनाने के लिए 28 अगस्त की तिथि निर्धारित की थी। इसके आद आज कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया। मशरख विधायक अशोक सिंह की हत्या तीन जुलाई 1995 को पटना के गर्दनीबाग थाना क्षेत्र में कर दी गयी थी। मृतक की पत्नी चांदनी देवी की शिकायत पर मामले में गर्दनीबाग थाना में प्राथमिकी (339/95) दर्ज कराई गयी थी। इसमें प्रभुनाथ सिंह, उनके भाई दीनानाथ सिंह, रितेश सिंह समेत कई आरोपी बने थे। झारखंड बनने के बाद हज़ारीबाग जेल में रहने के दौरान प्रभुनाथ ने अपना केस अलग कराते हुए हाइकोर्ट के आदेश से अपने कई मामलों को झारखंड के हजारीबाग कोर्ट में स्थानान्तरित करा लिया था। वैसे मृत विधायक की पत्नी ने भी न्याय के लिए तब पटना से अन्यत्र केस स्थानान्तरित करने की गुहार लगाई थी। बाद में हज़ारीबाग जेल में बंद रहने के दौरान उनके पक्ष के लोगों के आवेदन पर प्रभुनाथ के चार केस हज़ारीबाग न्यायालय स्थानान्तरित हो गए थे। उसी में अशोक सिंह हत्याकांड भी शामिल था। लंबी कानूनी प्रक्रिया, 22 से अधिक गवाहों के गुजरते-गुजरते 22 साल बीत गए। गवाहों के बयान और साक्ष्यों को देखते हुए कोर्ट ने हत्या और एक्सप्लोसिव एक्ट में उन्हें यह सजा सुनाई।
… और समर्थक मायूस हुए
बिहार से बड़ी संख्या में नेता, समर्थक और परिवार के लोग पहुंचे थे। शहर के सारे होटल एक दिन पहले रात में ही पूरी तरह से बुक हो चुके थे। सुबह कोर्ट आने पर सबको जानकारी मिली की कि सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग से होगी तो सबके चेहरे पर मायूसी छा गयी। बिहार से पहुंचे कई लोग कोर्ट पहुंचे थे और वीडियो कांफ्रेंसिंग रूम के बाहर जुटे रहे। इस हाई प्रोफाइल मामले को लेकर कोर्ट में भी सुबह से भारी सुरक्षा व्यवस्था थी। वाहनों के प्रवेश पर रोक थी और तलाशी के बाद लोगों को कोर्ट परिसर के भीतर जाने का दिया जा रहा था।